शिखर धवन हमेशा अपनी मुस्कुराहट और ज़िंदादिली के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनके करियर में एक ऐसा दौर भी आया जब उन्होंने सिर्फ देश के लिए नहीं, खुद की पहचान बचाने के लिए टूटी हुई बांह के साथ मैदान पर उतरने का फैसला किया। ये कहानी है सितंबर 2016 की, ईडन गार्डन्स में खेले गए न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच की।
खराब फॉर्म और दबाव
उस समय धवन का फॉर्म पहले से ही खराब चल रहा था। पिछले 13 पारियों में सिर्फ एक अर्धशतक और हाल की 5 पारियों में लगातार फ्लॉप प्रदर्शन। ईडन टेस्ट की पहली पारी में भी वह सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गए। दबाव साफ दिख रहा था – टीम में जगह बचाने की जद्दोजहद।
बाउल्ट की गेंद और टूटी हड्डी
दूसरी पारी में टीम को उनकी सख्त ज़रूरत थी, लेकिन ट्रेंट बाउल्ट की एक तेज़ गेंद उनकी बांह पर लगी और वो टूट गई। उस वक्त धवन के सामने दो रास्ते थे – या तो मैदान छोड़ दें और आराम करें, या दर्द को नज़रअंदाज़ कर मैदान में डटे रहें। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
“मरकर ही जाऊं ना”
धवन ने बाद में खुलासा किया कि उन्हें अंदाजा था कि अगर वो उस वक्त नहीं खेले, तो शायद दोबारा मौका ही न मिले। उन्होंने कहा – “मुझे पता था कि अगर मैं नहीं खेला तो टीम से बाहर हो जाऊंगा। मैंने सोचा, पहले से ही मरा हुआ हूं, तो पूरी तरह मरकर जाऊं ना।”
बल्ला थामा, लेकिन किस्मत नहीं बदली
धवन मैदान पर वापस उतरे और बांह में चोट के बावजूद 17 रन बनाए। लेकिन ये संघर्ष भी उन्हें अगला टेस्ट खेलने से नहीं बचा सका। चयनकर्ताओं ने उन्हें ड्रॉप कर दिया और किसी नए खिलाड़ी को मौका दे दिया गया।
आत्मचिंतन और बदलाव
इस पूरे अनुभव ने धवन को अंदर से झकझोर दिया। उन्होंने कहा – “मैं बहुत ज़्यादा डेस्परेट हो गया था… गलत एनर्जी के साथ मेहनत कर रहा था।” लेकिन इसी वक्त उन्होंने खुद से सवाल किया – उन्हें असल में क्या चाहिए? जवाब था – खुश रहना।
करियर की तेज़ शुरुआत और सच्चाई की स्वीकारोक्ति
धवन ने 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू करते हुए मोहाली में 187 रन ठोक दिए थे – सबसे तेज़ टेस्ट डेब्यू सेंचुरी में से एक। लेकिन वो अब मानते हैं कि क्रिकेट की यह दौड़ कभी खत्म नहीं होती। हमेशा कोई नया खिलाड़ी आएगा, कोई आगे निकलेगा।
जिंदगी से बड़ा खेल
शिखर धवन की ये कहानी सिर्फ क्रिकेट नहीं, जिंदगी की भी है। कभी-कभी सबसे बड़ी लड़ाई मैदान में नहीं, हमारे अंदर चलती है – और धवन ने उस लड़ाई में हार नहीं मानी। भले ही टीम ने उन्हें ड्रॉप किया हो, लेकिन उन्होंने खुद को नहीं छोड़ा।
FAQs
धवन की बांह कैसे टूटी थी?
ट्रेंट बाउल्ट की गेंद उनके हाथ पर लगी थी।
धवन ने उस मैच में कितने रन बनाए?
उन्होंने दूसरी पारी में 17 रन बनाए थे।
धवन को टीम से क्यों बाहर किया गया?
लगातार खराब फॉर्म और चोट के कारण।
धवन का टेस्ट डेब्यू स्कोर क्या था?
उन्होंने डेब्यू पर 187 रन बनाए थे।
धवन को सबसे महत्वपूर्ण क्या लगता है?
उनके लिए खुशी सबसे ज़रूरी है।