चोट के बाद किसी भी खिलाड़ी के लिए मैदान पर लौटना आसान नहीं होता, लेकिन रुतुराज गायकवाड़ ने साबित कर दिया है कि वो सिर्फ वापसी नहीं कर रहे, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में अपनी जगह के लिए पूरी तैयारी के साथ उतरे हैं। दुलीप ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में उनकी 184 रनों की पारी ने सबका ध्यान खींचा है और एक बार फिर उन्हें टीम इंडिया के दरवाज़े के पास ला खड़ा किया है।
लाजवाब पारी
बेंगलुरु में खेले जा रहे वेस्ट जोन बनाम सेंट्रल जोन के सेमीफाइनल मुकाबले में रुतुराज ने नंबर 4 पर बल्लेबाज़ी करते हुए 206 गेंदों में 184 रन ठोक दिए। ये सिर्फ उनका आठवां फर्स्ट क्लास शतक नहीं था, बल्कि एक बयान था—कि वो टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार हैं और मौके का इंतज़ार नहीं कर रहे, उसे खुद अपने बल्ले से बना रहे हैं।
चोट का झटका
IPL 2025 में चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी करते हुए रुतुराज को कोहनी में गंभीर चोट लग गई थी। इस चोट की वजह से उन्हें टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा और चेन्नई की कमान फिर से एमएस धोनी को सौंपी गई। लेकिन टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वे प्लेऑफ में भी जगह नहीं बना सके।
बदलता सफर
IPL से बाहर होने के बाद रुतुराज को इंडिया ए की इंग्लैंड टूर में शामिल तो किया गया, लेकिन वहां उन्हें प्लेइंग XI में मौका नहीं मिला। फिर उन्होंने यॉर्कशायर की ओर से काउंटी क्रिकेट खेलने की तैयारी की, लेकिन निजी कारणों से उन्होंने आखिरी समय पर नाम वापस ले लिया। इन सब उतार-चढ़ावों के बीच दुलीप ट्रॉफी उनके लिए एक परफेक्ट प्लेटफॉर्म बन गया।
संघर्ष और लय
गायकवाड़ जब क्रीज पर आए, तब टीम की हालत कुछ खास नहीं थी। यशस्वी जायसवाल और हार्विक देसाई जल्दी आउट हो चुके थे। लेकिन गायकवाड़ ने पहले तो पिच को समझा, फिर स्पिनर्स पर हावी हो गए। लंच के बाद उन्होंने रफ्तार पकड़ी और एक के बाद एक बेहतरीन शॉट्स लगाए। उनका कवर ड्राइव पर लगाया गया शतक वाला शॉट इस मैच का सबसे यादगार पल बन गया।
मौक़े की दस्तक
भारत के लिए अभी तक टेस्ट डेब्यू ना करने वाले रुतुराज के लिए ये पारी एक सोने पर सुहागा साबित हो सकती है। अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ होनी है और चयनकर्ताओं की नज़रें अब इस पारी पर ज़रूर टिकेंगी। जब टीम इंडिया को एक भरोसेमंद ओपनर या मिडिल ऑर्डर बैटर की ज़रूरत है, तो रुतुराज जैसे खिलाड़ी का दावा मजबूत होता जा रहा है।
भविष्य की उम्मीद
अगर वो इसी फॉर्म को बरकरार रखते हैं, तो न सिर्फ वेस्टइंडीज, बल्कि साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ भी उन्हें टेस्ट कैप मिल सकती है। खास बात ये है कि रुतुराज का खेलने का अंदाज़ सिर्फ लिमिटेड ओवरों तक सीमित नहीं है। वो टेस्ट फॉर्मेट की मांग को भी समझते हैं और उसी हिसाब से खुद को ढाल भी रहे हैं।
अनुभव का वजन
रुतुराज ने भारत के लिए 6 वनडे और 23 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। इसके अलावा वो 2022 के एशियन गेम्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले कप्तान भी रहे हैं। लेकिन उनकी नज़र अब सफेद जर्सी पर है—जहां वो अपनी क्लास, तकनीक और संयम से खुद को साबित करना चाहते हैं।
मानसिक मजबूती
इस पूरी वापसी से एक बात साफ होती है कि रुतुराज सिर्फ टैलेंटेड ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बेहद मजबूत हैं। चोट, अनिश्चितता और मौके ना मिलने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। मैदान पर लौटे तो ऐसा लगा जैसे कुछ खोया ही नहीं, बल्कि अब और ज्यादा फोकस के साथ खेलने आए हैं।
रुतुराज गायकवाड़ की ये पारी सिर्फ एक स्कोर नहीं, एक स्टेटमेंट है। उन्होंने बता दिया है कि अगर आप मेहनत और धैर्य के साथ चलते हो, तो मौका खुद चलकर आपके पास आता है। अब देखना है कि चयनकर्ता इस दस्तक को सुनते हैं या नहीं, लेकिन क्रिकेट फैंस के लिए ये पारी किसी उम्मीद से कम नहीं।
FAQs
रुतुराज ने कितने रन बनाए?
उन्होंने 206 गेंदों पर 184 रन बनाए।
ये किस टूर्नामेंट का मैच था?
दुलीप ट्रॉफी 2025 का सेमीफाइनल मैच था।
रुतुराज IPL से क्यों बाहर हुए थे?
उन्हें कोहनी में फ्रैक्चर हुआ था।
क्या रुतुराज ने टेस्ट डेब्यू किया है?
नहीं, उन्होंने अब तक टेस्ट डेब्यू नहीं किया है।
क्या वे वेस्टइंडीज सीरीज़ में खेल सकते हैं?
अगर फॉर्म बरकरार रहा तो चयन संभव है।











