हर मैदान घर जैसा नहीं – विराट कोहली की सोच से सहमत हुए रविचंद्रन अश्विन, बोले टेस्ट क्रिकेट को चाहिए स्थायी मैदान

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Ravichandran Ashwin

भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल और विविध देश में हर मैदान खिलाड़ियों के लिए “होम एडवांटेज” नहीं दे सकता। अपने यूट्यूब शो “Ash ki Baat” में उन्होंने कहा कि टेस्ट मैच सिर्फ घर में खेलना नहीं होता, बल्कि घरेलू हालात का फायदा भी मिलना चाहिए।

कोहली की सोच फिर चर्चा में

अश्विन की यह टिप्पणी विराट कोहली की उस 2019 की मांग को फिर से सुर्खियों में ले आई है, जिसमें कोहली ने कहा था कि भारत में टेस्ट क्रिकेट के लिए पांच स्थायी मैदान तय किए जाने चाहिए। उनका तर्क था कि इससे टेस्ट मैचों को पहचान और स्थिरता मिलेगी।

पिच की पहचान अहम

अश्विन ने कहा कि भारत में हर स्टेडियम की पिच की प्रकृति अलग होती है, जिससे मैच की गुणवत्ता और संतुलन पर असर पड़ता है। खासकर पूर्वी भारत की पिचों में बाउंस की कमी को उन्होंने बड़ी चिंता बताया।
“भारत के हर हिस्से की सतह अलग है। कुछ जगह बाउंस बिल्कुल नहीं होता। फिर वो एक सामान्य टेस्ट बन जाता है, न रोमांच रहता है न चुनौती।”

घरेलू अनुभव की कमी

अश्विन ने उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ मैदानों पर भारतीय खिलाड़ी खुद भी ज्यादा नहीं खेले हैं। उन्होंने हाल ही में गुवाहाटी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट का ज़िक्र किया और कहा, “वो टेस्ट हमारे खिलाड़ियों के लिए भी उतना ही नया था। जब आपने वहां फर्स्ट-क्लास क्रिकेट नहीं खेला, तो उसे ‘होम गेम’ कैसे कहा जाए?”

कोहली से सहमति

अश्विन ने साफ कहा कि वो विराट कोहली की सोच से पूरी तरह सहमत हैं। “कोहली ने बिल्कुल सही कहा था कि टेस्ट क्रिकेट को पहचान देने के लिए स्थायी मैदान जरूरी हैं। अगर हर टीम को पता होगा कि भारत में पांच ग्राउंड्स पर मैच होंगे, तो वो परिस्थितियों के लिए बेहतर तैयार होंगी। यही टेस्ट क्रिकेट का असली आकर्षण है।”

रोटेशन पॉलिसी पर सवाल

अश्विन ने बताया कि पहले रोटेशन सिस्टम इसलिए बनाया गया था ताकि छोटे राज्यों को मौके और फंडिंग मिले। लेकिन अब उन्होंने पूछा कि क्या यह नीति टेस्ट क्रिकेट के लिए आज भी उतनी प्रासंगिक है?

“पहले यह सिस्टम नए खिलाड़ियों और राज्यों के लिए था। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या हर स्टेडियम टेस्ट के लायक है? गुवाहाटी का मैच इसका जवाब खुद देता है।”

बेहतर पिच सबसे जरूरी

अश्विन ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट की गुणवत्ता पिच से तय होती है। अगर विकेट में उछाल, टर्न और बैलेंस हो, तभी टेस्ट मैच रोमांचक बनता है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों को मौका मिले। तभी टेस्ट क्रिकेट की असली खूबसूरती दिखेगी।”

संभावित स्थायी टेस्ट सेंटर्स

अश्विन और कोहली दोनों की सोच के मुताबिक भारत में पांच मैदान टेस्ट के स्थायी सेंटर्स हो सकते हैं —

  • मुंबई (वानखेड़े): सीम और उछाल का अच्छा संतुलन।
  • कोलकाता (ईडन): तेज़ गेंदबाज़ों के अनुकूल और शानदार दर्शक माहौल।
  • चेन्नई (चेपक): स्पिनर्स के लिए स्वर्ग।
  • बेंगलुरु (चिन्नास्वामी): बैलेंस्ड विकेट, रन बनाने के मौके।
  • दिल्ली (अरुण जेटली): अनुभव, पहुंच और घरेलू फायदा।

बहस ज़रूरी है

अश्विन और कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की राय बताती है कि टेस्ट क्रिकेट को संरचनात्मक बदलाव की ज़रूरत है। अगर पिचों की गुणवत्ता और खिलाड़ियों के अनुभव को नजरअंदाज किया गया, तो धीरे-धीरे दर्शकों की रुचि कम होती जाएगी।
जैसा कि अश्विन ने कहा, “हर मैदान घर जैसा नहीं होता — और टेस्ट क्रिकेट के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती है।”

FAQs

अश्विन ने क्या मांग की है?

भारत में टेस्ट के लिए स्थायी स्टेडियम तय करने की।

गुवाहाटी की पिच से क्या समस्या है?

उसमें उछाल नहीं है और अनुभव भी नहीं है।

कोहली ने कितने टेस्ट सेंटर्स की मांग की थी?

पांच स्थायी टेस्ट सेंटर्स।

क्या रोटेशन पॉलिसी अब भी जरूरी है?

वनडे-T20 के लिए ठीक है, टेस्ट के लिए नहीं।

टेस्ट वेन्यू तय करने का सबसे बड़ा मापदंड क्या है?

पिच की गुणवत्ता और घरेलू अनुभव।

Ehtesham Arif

I’m Ehtesham Arif, lead cricket analyst at Kricket Wala with over 3 years of experience in cricket journalism. I’m passionate about bringing you reliable match analysis and the latest updates from the world of cricket. My favorite team is India, and in the IPL, I support Delhi Capitals.

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