भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर टी20 सीरीज़ तो जीत ली, लेकिन हेड कोच गौतम गंभीर इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनके मुताबिक, टीम को वर्ल्ड कप से पहले अभी और बेहतर होना होगा।
सीमित समय
भारत को अब 2026 T20 वर्ल्ड कप से पहले सिर्फ 10 इंटरनेशनल मैच खेलने हैं — पांच दक्षिण अफ्रीका और पांच न्यूज़ीलैंड के खिलाफ। ऐसे में गंभीर का फोकस जीत से ज़्यादा तैयारी पर है।
फिटनेस जरूरी
गंभीर ने टीम की फिटनेस को लेकर साफ कहा कि हम अभी उस लेवल पर नहीं हैं जहाँ होना चाहिए। उन्होंने खिलाड़ियों से भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि वर्ल्ड कप जीतना है तो और तेज़, और फिट बनना होगा।
मेंटल फोकस
उनका मानना है कि शारीरिक फिटनेस से ही मानसिक मज़बूती आती है — खासकर जब मैच प्रेशर वाला हो। “तीन महीने हैं, उम्मीद है तब तक हम पूरी तरह तैयार होंगे।”
फ्लूइड बैटिंग
गंभीर ने इस सीरीज़ में फिक्स बैटिंग ऑर्डर के बजाय फ्लूइड स्ट्रैटेजी अपनाई। उनके मुताबिक, हर बॉल एक इवेंट है और टीम का मकसद सिर्फ रन नहीं, इंपैक्ट बनाना है।
मैच मोमेंट्स
गंभीर चाहते हैं कि हर बल्लेबाज़ मैच के टर्निंग पॉइंट्स पर असर डाले, ना कि सिर्फ स्ट्राइक रेट या औसत की बात करे।
बॉलिंग एटैक
बल्लेबाज़ी ही नहीं, गेंदबाज़ी में भी आक्रामकता दिखी। बुमराह को पावरप्ले में तीन ओवर दिलवाकर उन्होंने शुरुआती दबाव बनाया, जिससे मिडल ओवर्स में कुलदीप और वरुण को फायदा मिला।
कामयाब रणनीति
यह प्लान एशिया कप में भी कारगर रहा था और भारत को अच्छी शुरुआत दिलाने में मदद की थी।
दुबे की ग्रोथ
शिवम दुबे को लेकर गंभीर ने कहा कि उन्हें मुश्किल परिस्थितियों में जानबूझकर डाला गया — ताकि वो मैच टेंशन में खुद को प्रूव कर सकें।
कन्फिडेंस बिल्ड
पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप फाइनल में दुबे ने सिर्फ 12 रन देकर 2 ओवर फेंके — जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। गंभीर मानते हैं कि दुबे सिर्फ हिटर नहीं, बल्कि फ्यूचर ऑलराउंडर बन सकते हैं।
खुला खेल
गंभीर ने बताया कि टीम में हर खिलाड़ी को फ्रीडम दी गई है — चाहे वो सीनियर हो या यंगस्टर। अब गलती करने का डर नहीं है, क्योंकि वही डर असली गलती करवाता है।
आत्मविश्वास
उन्होंने कहा कि जैसे Abhishek Sharma ने खुलकर खेला, वैसी आज़ादी सभी को है। यही खिलाड़ी को भरोसा और ताकत देती है।
बेंच की मजबूती
भारत की बेंच स्ट्रेंथ काफी स्ट्रॉन्ग है। इसी वजह से अर्शदीप या कुलदीप जैसे खिलाड़ी भी कभी-कभी बाहर बैठते हैं — जो टीम की डेप्थ को दिखाता है।
साफ बातचीत
गंभीर ने माना कि किसी खिलाड़ी को बाहर रखने की बात कहना सबसे मुश्किल होता है, लेकिन अगर कम्युनिकेशन ईमानदारी से हो, तो खिलाड़ी समझते हैं।
तीन महीने
वर्ल्ड कप में अब सिर्फ तीन महीने बचे हैं। गंभीर की सोच से साफ है कि इस बार टीम सिर्फ खेलने नहीं, जीतने के इरादे से मैदान में उतरेगी।
नई सोच
फिटनेस, खुलापन, आत्मविश्वास और आक्रामकता — यही भारत की असली ताकत होगी। गंभीर का फोकस सीरीज़ नहीं, ट्रॉफी है — और यही सोच भारत को आगे ले जा सकती है।
FAQs
गंभीर T20 वर्ल्ड कप से पहले क्या चाहते हैं?
वो चाहते हैं टीम और फिट, तेज़ और मानसिक रूप से मजबूत हो।
गंभीर का बैटिंग ऑर्डर को लेकर नजरिया क्या है?
फिक्स नहीं, फ्लूइड ऑर्डर जो इम्पैक्ट बनाए।
शिवम दुबे को गंभीर क्यों पसंद कर रहे हैं?
उन्होंने दबाव में बॉलिंग की और आत्मविश्वास दिखाया।
बुमराह को पावरप्ले में क्यों गेंदबाज़ी दी गई?
आक्रामक शुरुआत के लिए 3 ओवर दिए गए।
कोच के तौर पर गंभीर को सबसे कठिन काम क्या लगता है?
खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन से बाहर करने की बात करना।











