राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच हुए मुकाबले में नो-बॉल को लेकर एक बड़ा विवाद हुआ था जिसके बाद दिल्ली टीम के असिस्टेंट कोच प्रवीण आमरे और शार्दुल ठाकुर को उठाना पड़ा। कप्तान पंत और शार्दुल ठाकुर पर जुरमाना लगाया गया तो दूसरी तरफ अस्सिस्टेंट कोच आमरे को एक मैच के लिए बैन कर दिया गया।
दरसल विवाद के दौरान दौरान प्रवीण आमरे मैदान में घुस गए थे और अंपायर से बहस करने लगे थे। इस मामले को लेकर अब एक जानकारी सामने आई है कि वो शुरू में मैदान में नहीं जाना चाह रहे थे और उन्होंने कप्तान पंत को शांत कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन पंत माने नहीं. इसके बाद आमरे को मैदान में जाना पड़ा।
न्यूज़ वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नो-बॉल विवाद के बाद पंत ने टीम के असिस्टेंट कोच से कहा था, “सर आप मैदान में जाकर अंपायर से बात करेंगे या मैं जाऊं?” उस वक्त, आमरे को लगा कि कप्तान का मैदान पर जाना सही फैसला नहीं होगा. इसी वजह से आमरे मैदान पर गए और इस विवाद को लेकर अंपायर से बात की. अगर आमरे की जगह पंत मैदान पर गए तो शायद आमरे को जो एक सजा मिली है, वो पंत को मिलती।
इस नो-बॉल विवाद पर आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने कड़ा एक्शन लिया. पंत पर मैच फीस का 100 फीसदी जुर्माना लगाया गया, जोकि 1 करोड़ रुपये के करीब है. वहीं, शार्दुल ठाकुर पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना ठोका गया, जबकि असिस्टेंट कोच आमरे को इस हरकत के लिए एक मैच के लिए बैन कर दिया गया।
मालूम हो कि राजस्थान के खिलाफ मुकाबले में 223 रन के टारगेट का पीछा करते हुए दिल्ली टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 36 रनों की दरकार थी, ओबेड मैकॉय के ओवर की शुरुआती 3 बॉल पर रोवमैन पॉवेल ने तीन छक्के जमा दिए थे और तीसरी गेंद विवादों से भरा रहा था। तीसरी गेंद नो बॉल प्रतीत हुआ था लेकिन अंपायर ने इसे नो-बॉल नहीं करार दिया. इससे पंत बिफर गए और अपने बल्लेबाजों को मैदान से वापस बुलाने का इशारा कर दिया था।
मैच के बाद पंत ने कहा था, “जाहिर तौर पर यह फैसला सही नहीं था. लेकिन हमारे साथ भी जो हुआ, वो भी सही नहीं था. यह बस हो गया, हम इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.” टीम के दूसरे असिस्टेंट कोच शेन वॉटसन ने कप्तान पंत और टीम की इस हरकत पर नाखुशी जताई थी. उन्होंने कहा था, ‘देखिए, उस आखिरी ओवर में जो कुछ हुआ, वह बहुत निराशाजनक था।
मैदान पर जो हुआ, उसका दिल्ली कैपिटल्स समर्थन नहीं करती. अंपायर का फैसला सही है या नहीं, हमें स्वीकार करना होगा और कोई अंपायर के फैसले के खिलाफ मैदान पर चला जाए, इसे हम कतई स्वीकार नहीं करेंगे. इसे सही नहीं ठहराया जा सकता।