भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स टेस्ट का आखिरी दिन दिल थाम देने वाला था। 193 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत जब 112/8 पर था, तब हार लगभग तय मानी जा रही थी। लेकिन रविंद्र जडेजा और जसप्रीत बुमराह ने जो 35 रन की साझेदारी निभाई, उसने इंग्लैंड को पसीना ला दिया। फिर भी जीत हाथ से निकल गई।
दबाव का पल और फेलियर का डर
1983 वर्ल्ड कप विजेता बलविंदर सिंह संधू का मानना है कि जडेजा, जो आमतौर पर दबाव में बेहद शांत रहते हैं, इस बार नर्वस दिखे। उन्होंने लिखा कि जडेजा जैसे अनुभवी खिलाड़ी से ऐसी चूक की उम्मीद नहीं थी। उन्हें लगा कि जडेजा आखिरी ओवरों में “फेल होने के डर” से जूझ रहे थे, और इसी वजह से उन्होंने वह गलत सिंगल लिया।
बुमराह ने निभाई ज़िम्मेदारी
बुमराह ने 54 गेंदें खेलीं और सिर्फ 5 रन बनाए, लेकिन उन्होंने विकेट नहीं गंवाया। उन्होंने इंग्लिश गेंदबाज़ों के खिलाफ डिफेंस में दम दिखाया। जडेजा ने शानदार 61 रन बनाए, लेकिन उन्होंने ओवर की चौथी गेंद पर सिंगल लेकर बुमराह को स्ट्राइक दे दी, जब इंग्लैंड हर हाल में विकेट चाह रहा था।
संधू ने इस फैसले पर सवाल उठाया—”क्या जडेजा को खुद पर और अपने साथी पर थोड़ा और भरोसा नहीं करना चाहिए था?”
छोटी रणनीति, बड़ा असर
इस साझेदारी के दौरान दिखा कि टेस्ट क्रिकेट में न सिर्फ टेक्निक बल्कि माइंडसेट भी ज़रूरी होता है। संधू के मुताबिक, अगर जडेजा ने बुमराह को स्ट्राइक न दी होती और खुद ओवर खत्म किया होता, तो नतीजा अलग हो सकता था।
सीनियर प्लेयर की ज़िम्मेदारी
यह बहस अब गर्म है कि क्या सीनियर खिलाड़ियों को मुश्किल वक्त में साथी खिलाड़ियों पर ज़्यादा भरोसा करना चाहिए? क्या यह छोटी रणनीतिक गलती थी या दबाव में लिया गया फैसला?
आगे की सोच
भारत को इस हार से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। जब मैच बारीक रणनीति और मानसिक ताकत से जीते जाते हैं, तब हर फैसला मायने रखता है। लॉर्ड्स की हार भारत के लिए चेतावनी है कि सिर्फ तकनीक नहीं, भरोसा और धैर्य भी जीत की कुंजी है।
FAQs
जडेजा ने बुमराह पर भरोसा क्यों नहीं किया?
बलविंदर संधू के अनुसार, जडेजा असफल होने से डर रहे थे।
बुमराह ने कितनी गेंदें खेलीं?
बुमराह ने 54 गेंदों में 5 रन बनाए।
रविंद्र जडेजा ने कितने रन बनाए?
जडेजा ने 61 रन की जुझारू पारी खेली।
दोनों ने कितनी रनों की साझेदारी की?
जडेजा और बुमराह ने 35 रन की साझेदारी की।
संधू ने क्या सुझाव दिया?
उन्होंने कहा जडेजा को बुमराह पर अधिक भरोसा करना चाहिए था।