ऑपरेशन सिंदूर – भारत पाक क्रिकेट अब राजनीति की रणभूमि बन गया है

Published On:
Sindoor

एक दौर था जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को दोस्ती का जरिया माना जाता था। लेकिन एशिया कप 2025 के फाइनल और उसके बाद हुई घटनाओं ने साबित कर दिया कि अब क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि राजनीति का नया हथियार बन चुका है।

मोदी का बयान

29 जुलाई को संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है।” और फिर दो महीने बाद जब भारत ने एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान को हराया, तो उन्होंने ट्वीट किया,
“ऑपरेशन सिंदूर खेल मैदान पर। परिणाम वही – भारत की जीत!”

ये एक लाइन सिर्फ जीत की खुशी नहीं थी — ये एक राजनीतिक संदेश था कि भारत अब हर मोर्चे पर ‘जवाबी कार्रवाई’ कर रहा है, चाहे वो युद्ध हो या वर्ल्ड क्रिकेट।

ट्रॉफी का ड्रामा

फाइनल जीतने के बावजूद भारत ने ट्रॉफी नहीं ली, क्योंकि उसे पाकिस्तान के गृह मंत्री और ACC अध्यक्ष मोहसिन नक़वी से लेना था।

BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने कहा, “हमने फैसला किया कि हम नक़वी से ट्रॉफी नहीं लेंगे।” इसके बाद ACC ने न मेडल दिया, न ट्रॉफी — और भारतीय टीम ने शैडो ट्रॉफी के साथ जश्न मनाया।

नक़वी का जवाब

मोहसिन नक़वी ने मोदी के बयान का पलटवार करते हुए कहा, “अगर युद्ध ही आपकी शान है, तो इतिहास में आपकी हारें भी दर्ज हैं।” उन्होंने इसे एक निराशाजनक राजनीति करार दिया।

क्रिकेट की आत्मा का गला

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ जैसे जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन ने इस पूरे घटनाक्रम को “जिंगोइज़्म की पराकाष्ठा” बताया। उनके मुताबिक, “क्रिकेट की आत्मा को दबा दिया गया है — अब ये सिर्फ इगो की लड़ाई है।”

पुराना इतिहास

एक समय था जब तनाव के बावजूद क्रिकेट रिश्तों को सुधारता था। जैसे 1999 में भारत-पाक टेस्ट सीरीज़, जो परमाणु तनाव के बाद हुई थी। या 1987 में जनरल जिया-उल-हक का भारत आकर मैच देखना — ये सब क्रिकेट डिप्लोमेसी का हिस्सा था।

अब डिप्लोमेसी गायब है

अब खिलाड़ी भी उस भावना से दूर होते जा रहे हैं। विश्लेषक अली खान कहते हैं, “पहले खिलाड़ी ज़्यादा जुड़े रहते थे, अब वो सिर्फ सरकार के निर्देशों का पालन करते हैं।” IPL में पाकिस्तान के खिलाड़ियों की अनुपस्थिति ने इस दूरी को और बढ़ा दिया है।

राजनीतिकरण चरम पर

2025 के आम चुनाव भारत में नज़दीक हैं, और पाकिस्तान की भी राजनीतिक स्थिति अस्थिर है। ऐसे में क्रिकेट को एक प्रचार टूल बनाना दोनों देशों के लिए आसान और फायदेमंद हो गया है।

फूट और दूरी

जहां एक समय विराट कोहली और रोहित शर्मा की पाकिस्तान में फैन फॉलोइंग थी, अब नए खिलाड़ियों में वह करिश्मा या कनेक्शन नजर नहीं आता। मैदान की गर्मी अब ड्रेसिंग रूम के बाहर भी साफ दिखती है।

क्या आगे कुछ बदलेगा?

महिला क्रिकेट का अगला बड़ा मुकाबला आ रहा है, लेकिन क्या यह मैच फिर से कोई पुल बना पाएगा?

प्रो. नूरुद्दीन की मानें तो आम जनता का ध्यान रोज़मर्रा की समस्याओं में है, न कि क्रिकेट के झगड़ों में। लेकिन जब तक नेतृत्व बदलेगा नहीं, क्रिकेट की ये राजनीति खत्म नहीं होगी।

मैदान पर भले भारत जीता हो, लेकिन असली हार उस खेल भावना की हुई जो कभी भारत-पाक क्रिकेट की जान हुआ करती थी। अगर क्रिकेट को राजनीति की आग से नहीं निकाला गया, तो ये खेल सिर्फ नफरत और विभाजन का जरिया बन जाएगा।

FAQs

ऑपरेशन सिंदूर क्या है?

यह भारत का पाक के खिलाफ सैन्य और कूटनीतिक अभियान है।

भारत ने ट्रॉफी क्यों नहीं ली?

क्योंकि ट्रॉफी पाक नेता नक़वी से लेनी थी, जो भारत को मंज़ूर नहीं था।

क्रिकेट मैच में युद्ध का ज़िक्र क्यों?

नेताओं ने मैच को राजनीतिक संदेश देने के लिए युद्ध से जोड़ा।

भारत-पाक आखिरी बार कब सीरीज़ खेली?

2012 में भारत में तीन मैचों की सीमित ओवरों की सीरीज़।

क्या खिलाड़ी आपस में दुश्मन हैं?

नहीं, पहले दोस्ताना थे, पर अब राजनीतिक असर से दूर हो गए।

Ehtesham Arif

I’m Ehtesham Arif, lead cricket analyst at Kricket Wala with over 3 years of experience in cricket journalism. I’m passionate about bringing you reliable match analysis and the latest updates from the world of cricket. My favorite team is India, and in the IPL, I support Delhi Capitals.

Leave a Comment

यह भी पढ़ें👈🏼