सचिन तेंदुलकर ने कैसे ज़िंदा रखी पटौदी की विरासत – पटौदी मेडल की कहानी

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Sachin Tendulkar

क्रिकेट सिर्फ रिकॉर्ड्स और रन का खेल नहीं, यह एक इतिहास है, एक विरासत है – और मंसूर अली खान पटौदी उसी इतिहास का सुनहरा पन्ना हैं। जब भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज़ की ट्रॉफी का नाम बदला गया, तब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने एक सच्चे लीडर की तरह कदम उठाया। उन्होंने तय किया कि पटौदी की विरासत को यूं ही खोने नहीं दिया जा सकता।

एक मेडल जो सम्मान से भरा है

जब सचिन को पता चला कि अब भारत-इंग्लैंड सीरीज़ को “तेंदुलकर एंड एंडरसन ट्रॉफी” कहा जाएगा, तो उन्होंने इस बदलाव को एकतरफा मानते हुए बीसीसीआई और ईसीबी दोनों से बात की। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि विजेता कप्तान को “पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस” दिया जाए – जो सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि एक यादगार हो।

क्यों जरूरी था पटौदी मेडल?

पटौदी भारतीय क्रिकेट के पहले ऐसे कप्तानों में थे जिन्होंने टीम में आत्मविश्वास और आक्रामकता लाई। उनके योगदान को एक नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए तेंदुलकर की यह पहल जरूरी थी। सचिन का मानना है कि जो लोग खेल को दिशा देते हैं, उन्हें हमेशा सम्मान मिलना चाहिए।

ट्रॉफी का नया रूप

नई ट्रॉफी में सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन की तस्वीरें और हस्ताक्षर हैं। दोनों ने मिलकर लगभग आधी सदी तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है। यह ट्रॉफी अनुभव, जुनून और समर्पण का प्रतीक है।

खिलाड़ीटेस्ट मैचकरियर की अवधि
सचिन तेंदुलकर20024 साल
जेम्स एंडरसन18821 साल

एंडरसन की प्रतिक्रिया

जेम्स एंडरसन ने इस पहल को “खास सम्मान” बताया और कहा कि भारत-इंग्लैंड के मुकाबले हमेशा इतिहास से भरे होते हैं। उनके लिए यह ट्रॉफी सिर्फ नाम नहीं, एक भावना है जो दोनों देशों के बीच की क्रिकेटिंग परंपरा को दर्शाती है।

तेंदुलकर बनाम एंडरसन

सचिन ने बताया कि एंडरसन से उनकी पहली टक्कर 2003 वर्ल्ड कप में हुई थी, लेकिन असली टेस्ट मुकाबले इंग्लैंड की पिचों पर हुए। एंडरसन के खिलाफ खेलना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा, और यही उन्हें बेहतर बल्लेबाज़ भी बनाता चला गया।

पटौदी की याद

शुभमन गिल जैसे युवा जब आने वाले सालों में पटौदी मेडल जीतेंगे, तो उन्हें सिर्फ ट्रॉफी नहीं, भारतीय क्रिकेट की एक महान विरासत भी हाथ लगेगी। यह पहल इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक महान खिलाड़ी दूसरे महान को भूले बिना आगे बढ़ सकता है।

FAQs

पटौदी मेडल क्या है?

यह मेडल भारत-इंग्लैंड टेस्ट विजेता कप्तान को दिया जाता है।

इस मेडल की शुरुआत किसने की?

ट्रॉफी का नया नाम क्या है?

तेंदुलकर और एंडरसन ट्रॉफी।

पटौदी ट्रॉफी कब बंद हुई?

कुछ साल पहले ECB और BCCI ने इसे बंद किया था।

तेंदुलकर ने एंडरसन से कब पहली बार खेला?

2003 वर्ल्ड कप में।

Ehtesham Arif

I’m Ehtesham Arif, lead cricket analyst at Kricket Wala with over 3 years of experience in cricket journalism. I’m passionate about bringing you reliable match analysis and the latest updates from the world of cricket. My favorite team is India, and in the IPL, I support Delhi Capitals.

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