भारतीय टेस्ट टीम की कमान पहली बार किसी विदेशी दौरे पर 25 वर्षीय शुभमन गिल को सौंपी गई है। और इस ऐतिहासिक मौके पर उन्हें क्रिकेट के सबसे बड़े नामों में से एक, सचिन तेंदुलकर से सीधा संदेश मिला है—बोल्ड फैसले लो, और बाकी की बातों को भूल जाओ।
बाहर क्या कहते हैं, फर्क नहीं पड़ना चाहिए
क्रिकबज़ से बातचीत में तेंदुलकर ने शुभमन को साफ-साफ समझाया कि कप्तानी का असली मापदंड बाहर की राय नहीं, बल्कि ड्रेसिंग रूम होता है। उन्होंने कहा,
“जब तक फैसले टीम के हित में हैं, तब तक यह मायने नहीं रखता कि लोग क्या कह रहे हैं। कोई बोलेगा बहुत डिफेंसिव थे, कोई कहेगा बहुत आक्रामक – लेकिन कप्तान को सिर्फ अपनी टीम और उसकी ज़रूरतों पर फोकस करना चाहिए।”
कप्तान की सोच बनाती है टीम की पहचान
तेंदुलकर ने बताया कि हर कप्तान को अपने फैसलों पर भरोसा होना चाहिए, और बाहर के शोर से दूर रहना चाहिए।
“ड्रेसिंग रूम का माहौल, खिलाड़ियों की ऊर्जा और टीम की दिशा – यही कप्तान की असली ज़िम्मेदारी है। और शुभमन के पास वो क्षमता है।”
तुलना से किया इनकार
जब उनसे पूछा गया कि शुभमन की स्थिति क्या उनके दौर से मिलती-जुलती है, तो सचिन ने साफ कहा:
“यह पूरी तरह अलग युग है। मेरे समय की क्रिकेट और आज की क्रिकेट में बड़ा फर्क है – तकनीक, दबाव, फॉर्मेट्स – सब बदल चुके हैं। इसलिए तुलना नहीं की जा सकती।”
शुभमन के लिए एक नया अध्याय
20 जून से इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में शुरू हो रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ शुभमन गिल के कप्तानी करियर की पहली असली परीक्षा होगी। भारत के दिग्गज अब रिटायर हो चुके हैं, और यह टीम अब युवा सोच और नई ऊर्जा के साथ मैदान में उतरेगी।
गिल को मिला एक भरोसेमंद मेंटर
शुभमन गिल के लिए यह सिर्फ एक सीरीज़ नहीं, बल्कि नेतृत्व की दिशा में एक नई शुरुआत है। और जब उनके साथ सचिन तेंदुलकर जैसा मेंटर हो, तो यह सिर्फ आत्मविश्वास नहीं बढ़ाता, बल्कि उन्हें सही दिशा में सोचने का एक ठोस आधार भी देता है।
FAQs
शुभमन गिल को तेंदुलकर ने क्या सलाह दी?
बोल्ड फैसले लेने और बाहरी बातों की चिंता न करने की।
गिल कितनी उम्र में कप्तान बने?
25 साल की उम्र में।
सचिन कब कप्तान बने थे?
23 साल और 169 दिन की उम्र में, 1996 में।
भारत-इंग्लैंड पहला टेस्ट कब शुरू हो रहा है?
20 जून से, हेडिंग्ले, लीड्स में।
तेंदुलकर ने किस बात पर ज़ोर दिया?
ड्रेसिंग रूम की चर्चा और टीम के हित पर।