आपने न जाने कितनी बार सुना होगा कि, “क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं है” और इसी कथन का उदहारण है एक मैच जहाँ 1008 रन बनाने के वाबजूद टीम 354 रनों से हार जाती है। उस मैच में कुल 19 शतक लगते। वैसे तो आपको ये सब बातें हजम नहीं हो रही होगी तो चलिए जानते है इतिहास से सबसे रोमांचक मैच की कहानी।
कहानी का पहला सिरा आज के ही दिन से जुड़ा हुआ है, दिन 11 मार्च साल 1949। बॉम्बे और महाराष्ट्र (Bombay vs Maharashtra) के बीच पुणे में एक मैच शुरू हुआ, यह मैच रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) का सेमीफाइनल था।
फाइनल की रेस में दोनों ही टीमों के बीच एड़ी चोटी की भिड़त हुई, नों टीमों की यह जोर-आजमाइश आज भी स्कोरकार्ड में बखूबी दर्ज है. सात दिन चले इस मैच में 2 हजार 376 रन बने। मैच में कुल 19 शतक लगे, तीन खिलाड़ियों ने मैच के दोनों ही पारी में शतक ठोका।
पहली पारी में बॉम्बे को 244 रनों की बढ़त
मैच में बॉम्बे ने पहले बैटिंग किया, टीम की ओर से माधव मंत्री (Madhav Mantri) ने दोहरा शतक बनाया, उदय मर्चेंट और दत्तू फडकर ने भी शतकीय पारियां खेलीं। जब मैच की एक ही पारी में 3-3 बल्लेबाज तिहरे अंक में रन बनाएं तो टीम का स्कोर तो विशाल होना ही था. बॉम्बे ने अपनी इस पारी में 651 रन बनाए।
जब महाराष्ट्र की बारी आई तो उसने भी जोरदार बैटिंग की. उसकी ओर से मनोहर दातार और मधुसूदन रेगे ने शतक ठोके. लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र 400 से थोड़े ज्यादा रन ही बना पाया. उसने 407 रन बनाए. और इस तरह बॉम्बे को पहली पारी में 244 रन की बढ़त मिली।
जीत के लिए 959 रनों का लक्ष्य
अब बार थी दूसरी पारी की जहाँ बॉम्बे ने बेशुमार रन बनाए, उसने मैच के छठे दिन जब अपनी दूसरी पारी घोषित की तो उसका स्कोर 8 विकेट पर 714 रन हो चुका था। उसकी ओर से पहली पारी के शतकवीर उदय मर्चेंट और दत्तू फडकर ने दूसरी पारी में भी शतक बनाए।
महाराष्ट्र के सामने जीत के लिए 959 रन का था, टीम के खिलाड़ियों ने हुंकार भरी और हार नहीं मानी, मधुसूदन रेगे ने एक बार फिर शतकीय पारी खेली. इस बार उन्हें दूसरे छोर से शरद देवधर का बेहतरीन साथ मिला, जिन्होंने अकेले 146 रन बनाए. सदाशिव पलसुले ने 97 और मनोहर दातार ने 86 रन का योगदान दिया. यह सच है कि इन बेहतरीन पारियों के बावजूद महाराष्ट्र यह मैच नहीं जीत सका. लेकिन उसने मैच की चौथी और अंतिम पारी में 604 रन बनाए।
1008 रन और 19 शतक बने
महारष्ट्र के बल्लेबाजों ने मैच जीतने के लिए पुरजोर कोशिश की हालाँकि दोनों पारियों में 1008 रन बनाने के वाबजूद टीम को 354 रन से हार का सामना करा पड़ा, महाराष्ट्र के बल्लेबाजों के जज्बे की वजह से ही यह मैच आज इतिहास के सबसे रोमांचक मैचों में गिना जाता है. इस मैच में बल्लेबाजों ने कुल 9 शतक बनाए और 10 अनचाहे शतक गेंदबाजों के नाम दर्ज हैं. मैच में कुल 2376 रन (2376 runs in Ranji Match) बने. यह आज भी प्रथमश्रेणी क्रिकेट में एक मैच में सबसे अधिक रन का रिकॉर्ड है.