कभी जिसे टीम इंडिया की घरेलू जीत की गारंटी समझा जाता था, वही तरीका अब हार की वजह बन रहा है। बात हो रही है उस खास रणनीति की जिसमें ऑलराउंडर्स को पहले रखा गया—जैसे एक तरह का ‘चीट कोड’ जो हर टेस्ट को भारत के हक में मोड़ देता था।
फॉर्मूला
इस प्लान में पांच बैटर, एक विकेटकीपर-बल्लेबाज, तीन स्पिन ऑलराउंडर और दो फास्ट बॉलर्स होते थे। कुछ वक्त तक ये फॉर्मूला कमाल का चला, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
जडेजा इफेक्ट
शुरुआत की बात करें तो ये सोच रवींद्र जडेजा की सफलता से निकली थी। 4000 रन और 300 विकेट जैसे आंकड़े बहुत कम खिलाड़ियों के नाम होते हैं। जडेजा, अश्विन और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ी लोअर मिडल ऑर्डर में आते थे और मैच में गेमचेंजर बन जाते थे।
पुरानी कामयाबी
ऐसा कई बार हुआ कि टॉप ऑर्डर फेल हुआ लेकिन इन ऑलराउंडर्स ने टीम को बचा लिया। लेकिन जैसा हर प्लान के साथ होता है, इस रणनीति की भी एक सीमा थी।
नई सच्चाई
अक्टूबर 2024 से लेकर नवंबर 2025 के बीच भारत ने घर पर 6 टेस्ट मैच खेले और 4 में हार का सामना किया। सिर्फ न्यूज़ीलैंड से 0-3 की क्लीन स्वीप ही नहीं, साउथ अफ्रीका ने भी कोलकाता में हमें हरा दिया।
पिछला रिकॉर्ड
अब अगर हम पुराने रिकॉर्ड देखें तो 2010 से 2023 के बीच भारत सिर्फ 4 घरेलू टेस्ट हारा था। यानी पिछले एक साल में जितने मैच हारे, उतने तो पिछले 11 साल में भी नहीं हारे थे।
कोलकाता की हार
कोलकाता की हार एक बड़ा झटका थी। ईडन गार्डन्स में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मैच में 8 बल्लेबाज़ टीम में थे, लेकिन फिर भी टीम का स्कोर पहली पारी में 189 और दूसरी में सिर्फ 93 रहा।
बैटिंग गड़बड़
सबसे हैरानी वाली बात थी वॉशिंगटन सुंदर को नंबर 3 पर भेजना। बाकी के मिडिल ऑर्डर में जडेजा, अक्षर, कुलदीप और विकेटकीपर जुरेल थे—यानि सभी ऑलराउंडर टाइप खिलाड़ी। लेकिन जब टॉप ऑर्डर जल्दी आउट हुआ, तो कोई भी ऐसे खिलाड़ी नहीं थे जो मुश्किल समय में पारी संभाल सके।
तीन बड़ी दिक्कतें
1. बैटर की कमी
इतने सारे ऑलराउंडर लेने से टीम में असली बल्लेबाज़ों की जगह ही कम पड़ जाती है। कोलकाता टेस्ट में सिर्फ चार स्पेशलिस्ट बैटर खेले। जब बैटिंग और बॉलिंग की जिम्मेदारी दोनों एक जैसे खिलाड़ियों पर आ जाए, तो न कोई रोल साफ होता है और न ही परफॉर्मेंस मजबूत।
2. रोल कन्फ्यूजन
सुंदर को नंबर 3 पर भेजना ये दिखाता है कि टीम खुद तय नहीं कर पा रही कि कौन किस रोल के लिए है। क्या सुंदर एक टॉप ऑर्डर बैटर हैं या बॉलिंग ऑलराउंडर?
3. गलत पिच सोच
जब आप चार स्पिनर टाइप खिलाड़ी रखते हैं, तो स्वाभाविक है कि आप टर्निंग ट्रैक की मांग करेंगे। लेकिन अब दूसरी टीमें भी इन पिचों को समझने लगी हैं और उन्हीं हालातों में आपको हरा रही हैं।
आंकड़ों की गवाही
2010 से 2023 के बीच भारत ने 42 से ज्यादा घरेलू टेस्ट खेले और सिर्फ 4 हारे। वहीं 2024-25 में 6 टेस्ट में 4 हार झेलनी पड़ी।
अब क्या करें?
अब सबसे बड़ा सवाल है—क्या गौतम गंभीर जैसे क्रिकेट थिंकर्स की बनाई ये ऑलराउंडर-फर्स्ट रणनीति अब बोझ बन गई है?
रास्ता आगे का
शायद अब वक्त है उस पुराने प्लान की तरफ लौटने का, जिसमें स्पेशलिस्ट बैटर, क्लियर रोल्स और स्पोर्टिंग पिच का कॉम्बिनेशन होता था। क्यूंकि अब विरोधी टीमें भी स्मार्ट हो गई हैं और ‘चीट कोड’ को डिकोड कर चुकी हैं।
FAQs
भारत ने 2024-25 में कितने घरेलू टेस्ट हारे?
भारत ने 6 में से 4 टेस्ट गंवाए।
वॉशिंगटन सुंदर को किस नंबर पर भेजा गया?
उन्हें नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया।
जडेजा के टेस्ट आंकड़े क्या हैं?
4000+ रन और 300+ विकेट।
‘चीट कोड’ रणनीति में कौन-कौन शामिल थे?
जडेजा, अश्विन, अक्षर पटेल जैसे स्पिन ऑलराउंडर।
भारत को अब क्या करना चाहिए?
स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ों को तरजीह देनी चाहिए।











