भारत की महिला क्रिकेट टीम की पहली वर्ल्ड कप जीत का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है। लेकिन इस ऐतिहासिक लम्हे के पीछे एक और कहानी है — शफाली वर्मा की ज़बरदस्त वापसी की कहानी जिसने मैदान से बाहर और भीतर दोनों जगह लोगों को इंस्पायर किया।
टीम से बाहर
कुछ ही महीने पहले शफाली टीम से बाहर थीं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ से ड्रॉप कर दी गईं और घरेलू क्रिकेट में लौटकर उन्होंने फिर से अपनी लय हासिल की।
मेहनत का फल
शफाली ने खुद माना कि पिछला साल उनके लिए बेहद मुश्किल भरा था। “कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेहनत करती रही, और अब भगवान ने उसका फल दिया।”
लेट एंट्री
शफाली को वर्ल्ड कप टीम में सीधे सेमीफाइनल से पहले जगह मिली। चोटिल प्रतीका रावल की जगह उन्हें बुलाया गया और उन्होंने आते ही साबित कर दिया कि क्यों वो एक गेम चेंजर हैं।
सिर्फ जीत
शफाली कहती हैं, “जब टीम से जुड़ी तो मन में सिर्फ एक ही बात थी — जीतना है। प्लान किया, फोकस किया और वही मैदान पर उतारा।”
फाइनल हीरो
फाइनल में भारत ने 298/7 का स्कोर बनाया और उसमें शफाली की 87 रनों की पारी सबसे बड़ी थी। उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ मिलकर 100 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की।
ऑलराउंड इम्पैक्ट
बल्लेबाज़ी के बाद गेंदबाज़ी में भी शफाली ने कमाल कर दिया। सुने लूस और मरिज़ाने कैप जैसे अहम बल्लेबाज़ों को आउट कर भारत की जीत की नींव रख दी।
मैच आंकड़े
रनों में 87, साझेदारी में 100, विकेट में 2 और सम्मान में “Aramco Player of the Match” — एक परफेक्ट फाइनल परफॉर्मेंस।
मेंटल फोर्स
मैच के बाद उन्होंने कहा, “मेरे लिए ये सात घंटे सब कुछ थे। बस ये सोचा कि देश के लिए पूरा जान लगाना है।” यही सोच बड़े खिलाड़ियों को और बड़ा बना देती है।
टीम इंडिया सफर
भारत की शुरुआत इस वर्ल्ड कप में अच्छी नहीं रही थी — पहले तीन मैच हार गई थी। लेकिन फिर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ जीत के साथ कहानी बदलनी शुरू हुई।
कमबैक जीत
हर्मनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया और फिर फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया और पहली बार महिला वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
मैच रिजल्ट
ग्रुप स्टेज में 3 हार और 1 जीत, फिर दो नॉकआउट जीत — और इंडिया बनी वर्ल्ड चैंपियन।
इतिहास रचाया
अब भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बाद चौथी टीम है जिसने ICC महिला वर्ल्ड कप जीता है।
प्रेरणादायक वापसी
शफाली की ये कहानी सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि ज़िंदगी की कहानी है — जहां एक बार बाहर हो जाने का मतलब अंत नहीं होता। ये उस जज़्बे की कहानी है जो अंदर से मजबूत हो, तो कोई भी वापसी नामुमकिन नहीं लगती।
FAQs
शफाली वर्मा वर्ल्ड कप टीम में कब शामिल हुईं?
सेमीफाइनल से ठीक पहले, एक चोटिल खिलाड़ी की जगह।
शफाली ने फाइनल में कितने रन बनाए?
87 रन और दो विकेट भी लिए।
शफाली को टीम से क्यों बाहर किया गया था?
ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ में फॉर्म की वजह से ड्रॉप हुई थीं।
भारत का ग्रुप स्टेज में प्रदर्शन कैसा रहा?
तीन हार के बाद न्यूज़ीलैंड को हराकर नॉकआउट में पहुंचे।
भारत ने फाइनल में किसे हराया?
दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराया।











